डेंगू बुखार – कारण, लक्षण एवम इलाज।

डेंगू बुखार के कारण , लक्षण और इलाज आदि की जानकारी जानने से पहले हम यह जान ले कि यह मच्छर के द्वारा होने वाली बीमारी है ।

मच्छर द्वारा निम्नलिखित बीमारियां होती है –

  • मलेरिया
  • फलेरिया 
  • डेंगू
  • चिकनगुनिया
  • जीका वायरस
  • जापानी माष्टिककोस
  • पीला बुखार

डेंगू , चिकनगुनिया , जीका वायरस,
‌पीला बुखार , जापानी माष्टिककोस यह सभी बीमारी वायरस( विषाणु) के द्वारा होती है । एवम मलेरिया और फलेरिया की बीमारी जीवाणु ( बैक्टेरिया) के द्वारा होती है।

डेंगू बुखार क्या है ?

डेंगू बुखार एक वायरल बुखार है । जो मच्छर के कटने के द्वारा होने वाला रोग है । यह संक्रमित एडीज मादा मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काट कर उसे संक्रमित कर देती है फिर उस संक्रमित व्यक्ति को अन्य डेंगू मच्छर काट लेता है और फिर से किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट कर वह वायरस (विषाणु) को रक्त में छोड़ देता है। जब वह अपना भोजन के लिए शरीर से रक्त लेता है और इस प्रकार यह रोग का फैलते जाता है । इस बुखार में व्यक्ति को मांशपेसियों एवम जोड़ो में दर्द साथ ही तेज बुखार आती है और अन्य गंभीर मामलों में शरीर के मुंह , नाक आदि से खून बहना भी शुरू हो जाती है और मौत भी हो जाती है।

डेंगू उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंध जलवायु जगहों पर पाए जाते हैं अर्थात मच्छरों को जन्म लेने के लिए यह जलवायु उनके लिए अनुकूल होती है। ये एशिया , ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका , दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, मेक्सिको और प्रशांत द्वीपों में पाए जाते हैं ।

नोटडेंगू किसी के छूने से या उसके साथ बगल में बैठ कर खाने से आदि से नही फैलता यह केवल ओर केवल संक्रमित एडीज मादा मच्छर के कटने से ही होता है।

डेंगू बुखार का कारण क्या है ?

यह एक विषाणु (वायरस) के द्वारा होती है। जिसका संवाहक संक्रमित एडीज मादा मच्छर होती है जिसके कटने से होती है । डेंगू वायरस चार अलग अलग प्रकार की होती है – डेंगू 1, डेंगू 2 , डेंगू 3 और डेंगू 4 । डेंगू 1 की तुलना में डेंगू 2 , डेंगू 3 एवम डेंगू 4 वायरस बहुत घातक होती है क्योंकि इस चरण में संक्रमित को बहुत कष्ट का सामना करना पढ़ता है । इसलिए अगर डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देते है तो पहले ही चरण में अपने डॉक्टर से संपर्क कर इलाज करा लेनी चाहिए।

अगर किन्ही व्यक्ति को संक्रमित एडीज डेंगू मच्छर काट लेती है तो बीमारी के लक्षण 4 से 5 दिन बाद दिखाई देने लगती है और अधित्तम अगले 7 दिन तक लक्षण दिखाई देती है । इसके बाद लक्षण गंभीर हो जाती है इसलिए शुरूवाती लक्षण दिखते ही उपचार शुरू कर लेनी चाहिए । अगर किसी व्यक्ति को डेंगू की बीमारी फिर से होती है तो उसे डेंगू बीमारी के डेंगू 2, डेंगू 3 तथा डेंगू 4 जैसी घातक बीमारी हो सकती है। डेंगू 1की तुलना में डेंगू 2 ,डेंगू 3 ,एवम डेंगू 4 के वायरस मरीज को ज्यादा तकलीफ देती है। डेंगू बुखार में मांशपेशियों एवम जोड़ो में दर्द बहुत ज्यादा बनी रहती है , ऐसा दर्द होती है मानो हड्डियां टूट रही हो जैसे , इसलिए इन्हे बोलचाल की भाषा में हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है।

डेंगू बुखार कितने प्रकार की होती है?

डेंगू बुखार तीन प्रकार की होती है –

  • हल्का डेंगू बुखार (Mild Dengu Fever)
  • डेंगू हेमोनहैजिक बुखार (Dengu Hemorrhagic fever)
  • डेंगू शॉक सिंड्रोम
    (Dengu Shock Syndrome)

डेंगू के हल्के बुखार में मरीज को बुखार , शरीर दर्द ,बदन दर्द, सिर दर्द आदि लक्षण दिख सकते है। परंतु अगर मरीज को डेंगू हेमोनहैजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम जैसी बुखार होती है तो उस मरीज के लिए गंभीर समस्या हो सकती है।

डेंगू हेमोनहैजिक बुखार एवम डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में शरीर के अंग को बहुत ज्यादा नुकसान कर देती है ये हमारे रक्त वाहिकाओं को क्षति कर देती है जिससे रक्त वाहिकाओं में रक्त रिसाव शुरू हो जाता है जिससे शरीर बहुत अधिक मात्रा में तरल पदार्थ खो देती है। जिससे रक्त में Platelets काउंट कम हो जाती है रक्त दाब (ब्लड प्रेसर) कम हो जाती है । और ज्यादा गंभीर मामलो में मरीज सदमा में चला जा सकता है और उनकी मौत भी हो सकती है।

डेंगू मच्छर को कैसे पहचाने?

  • डेंगू मच्छर की गुनगुनाहट अन्य मच्छरों की तुलना में बहुत कम होती है जिससे इसके होने का आभास नहीं होती है।
  • यह आम मच्छर के तुलना में छोटा होता है।
  • यह मच्छर काले रंग का होता है जिस पर सफेद धब्बे होते है जिन्हे हम आसानी से पहचान सकते है।
  • यह मच्छर मुख्यता दिन के समय ही कटती है।
  • ये दूसरो मच्छर की तुलना में तीव्र गति से उड़ती है और काटती भी है।
  • यह मच्छर नदी , तालाब , कच्चे नालियां , गढ्ढा जगहों में नही पाई जाती है।
  • यह ठहरे हुए साफ पानी में जन्म लेती है।
  • यह अपने पैदा स्थान के 100 से 300 मीटर की घेरे में ही रहती है।

डेंगू बुखार के लक्षण क्या है?

डेंगू बुखार के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 4 से 5 दिनों के बाद ही शुरू हो जाता है और लगभग 10 दिनों तक संक्रमण का असर रहता है। इसमें मुख्यता निम्न लक्षण दिख सकते है।

  • अचानक तेज बुखार ,105°F तक ।
  • तेज सिर दर्द।
  • मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।
  • जी मचलना।
  • भूख में कमी।
  • आंखों के पीछे दर्द होना , जो आंखों को घुमाने से बढ़ता है।
  • त्वचा पर चकते उभरना ( ये बुखार आने के 2 से 4 दिन बाद दिखाई देने लगती है । )
  • गंभीर मामलो में नाक , मुंह एवम मसूड़ों से रक्तस्राव होना।
  • दस्त होना।
  • थकान लगना।
  • पेट दर्द होना।
  • गले में सूखापन लगना।
  • पेशाब में जलन लगना।
  • Heart rate का धीमा हो जाना।
  • ब्लड प्रेसर का कम होना।
  • बल्ड जांच में Platelets काउंट की कमी मालूम होना।

डेंगू बुखार से कैसे बचाव करे?

डेंगू बुखार से बचाव के लिए हमे पहले उसके कटने से बचना होगा । ये मच्छर बरसात के मौसम के कुछ दिन के बाद ही जन्म लेते है और बीमारी को फैलते है अर्थात जुलाई से अक्टूबर/नवम्बर महीने । यही अक्टूबर एवम नवम्बर महीने में डेंगू मरीज केस (case)ज्यादा मिलते है।

  • मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • अगर आपको डेंगू के लक्षण दिखाई देते हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • odomos cream जैसे अन्य ओर भी मेडिकल में दवाई मिलती है उसका उपयोग कर मच्छर के कटने से बचे।
  • लंबे वाले शर्ट ,पैंट एवम मोजे पहने।
  • गंदे स्थानों की साफ-सफाई कर कीटनाशक का उपयोग करें।
  • अपने घर के आसपास पानी जमाव न होने दे।
  • घर में उपयोग कूलर की इस्तेमाल न हो तो कूलर के पानी हटा दे।

डेंगू बुखार का इलाज क्या है?

डेंगू के इलाज के कोई खास दवा या वेक्सीन नही है आमतौर पर बुखार उतरने या दर्द कम करने के लिए paracetamol की दवाई ली जाती है ।

  • तेज बुखार को कम करने की दवा ले।
  • बुखार नही उतरने पर कपड़ा ले ओर उसे पानी में भिंगोकर पूरे शरीर को पोछे। तबतक पोछे जबतक शरीर का तापमान 100°F से नीचे न आ जाए।
  • उल्टी की दवा ।
  • ors घोल या इलेक्ट्रोल की घोल।
  • नारियल पानी पिए।
  • चीनी एवम नमक का घोल बना कर पिए।
  • ज्यादा पानी पीने की सलाह।
  • आराम करने की सलाह।
  • प्लेटलेट्स काउंट बढ़ने की दवा ले।
  • तरल भोज्य पदार्थ का सेवन करे ।

नोट “कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह बिना इस्तेमाल न करे । ये दवाई के कुछ नाम दिए हुए है ये केवल आपके जानकारी के लिए है।”

डेंगू बीमारी की निदान कैसे किया जाता है ?

डेंगू वायरस या एंटीबॉडी की जांच के लिए डॉक्टर के द्वारा खून की जांच करने की सलाह दी जाती है। कुछ रक्त की जांच संक्रमण के 1-2 दिनों के भीतर तथा कुछ 4-5 दिनों के बाद ली जाती है। मुख्यता 3-4 प्रकार की खून जांच होती है तथा गंभीर मामलों में खून की जांच के साथ रेडियोलॉजी इमेजिंग परीक्षण की सलाह दी जाती है।

मुख्यता 4 प्रकार की खून जांच निम्नलिखित है –

  • NS1 एंटीजन यह पहली जांच होती है ,जो संक्रमण के 1-2 दिनों के भीतर होती है । ये जांच डेंगू संक्रमण की पुष्टि करने के लिए ली जाती है ।और ध्यान देने वाली बाते यह है की अगर पहला जांच में रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो ये जरूरी नहीं है आपको डेंगू नही हो सकती है आपको डेंगू हो भी सकती है। इसलिए NS1 की जांच के बाद IgM एंटीबॉडी की जांच जरूर करा लेनी चाहिए।
  • IgM एंटीबॉडी की जांच में पॉजिटिव से हमे मालूम होती है की ये बीमारी अभी अभी शुरू हुई है । परंतु डेंगू की संक्रमण 5 से 7 दिन के बाद ही पॉजिटिव आ सकती है।
  • IgG एंटीबॉडी जांच में पॉजिटिव होती है तो ये जानकारी मिलती है की पहले भी डेंगू की संक्रमण हो चुकी है ।
  • CBC ( कंप्लीट ब्लड काउंट ) इस जांच की सहायता से हमे शरीर की प्लेटलेट्स काउंट की जानकारी प्राप्त होती है। डेंगू की बुखार में या अन्य जीवाणु/विषाणु संक्रमण में प्लेटलेट्स काउंट की कमी हो जाती है।

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