हेपेटाइटिस बी क्या है ?

हेपेटाइटिस बी लीवर से जुड़ी संक्रमण बीमारी है जो वायरस के कारण होती है। हम जानते है कि लीवर हमारे शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है लीवर शरीर में प्रोटीन का अवशोषण कार्य करती है साथ ही पाचन क्रिया में भी मदद करती है लेकिन हेपटाइटिस जैसे बीमारी का लम्बे समय होना लीवर को धीरे धीरे खराब करने का कारण बन सकता है और कई अन्य मामलों में लीवर में कैंसर जैसी बड़ी बीमारी भी हो जाती है।

हेपटाइटिस बी कितने प्रकार के होते है ?

हेपटाइटिस बी मुख्यता दो प्रकार के हो सकते है –

  • एक्यूट हेपेटाइटिस बी ( Acute hepatitis B )
  • क्रोनिक हेपेटाइटिस बी ( chronic hepatitis B )

एक्यूट हेपेटाइटिस बी ( Acute hepatitis B ) – एक्यूट हेपेटाइटिस बी में संक्रमण काम समय के लिए होता है । इस प्रकार के संक्रमण में व्यक्ति अपने खान पान के बदलाव से कुछ दिनों के बाद अपने आप ठीक हो जाता है ।

क्रोनिक हेपेटाइटिस बी ( chronic hepatitis B ) –क्रोनिक हेपेटाइटिस बी में वायरस शरीर में अधिक समय तक रहता है लगभग 5 – 6 महीने। लंबे समय तक रहने के कारण से हमारे लीवर को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है । क्रॉनिक हेपिटाइटिस बी में बिना दवा के सेवन से ठीक होना संभव नहीं होती है इसलिए डॉक्टर की सलाह से उपचार करा कर chronic hepatitis B को ठीक कर सकते है।

chronic hepatitis B में लीवर (यकृत) की गंभीर शिकायत में कुछ इस तरह का अनुभव प्राप्त हो सकती है –

  • लीवर काम करना बंद कर देना
  • लीवर में धाव
  • लीवर कैंसर

हेपटाइटिस बी के लक्षण क्या है ?

हेपेटाइटिस बी के लक्षण है हर किसी में आसानी से नहीं दिखाई देते है। यह उन लोगों में दिखने को मिल जाते है जिनके संक्रमण गंभीर हो या संक्रमण पुराना हो ।

हेपेटाइटिस बी के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं –

  • पेट में दर्द बुखार
  • भूख नहीं लगना
  • मांसपेशियों में दर्द
  • चेहरा का पीलापन हो जाना
  • मूत्र का रंग गहरा हो जाना
  • मल का रंग में परिवर्तन
  • उल्टी
  • बुखार

हेपटाइटिस बी का कारण क्या है ?

हेपेटाइटिस बी hepatitis B वायरस के कारण होता है। जो संक्रमित व्यक्ति के आसुरक्षित क्रियाकलाप से हेपेटाइटिस बी फैलने का कारण बन सकता है । जैसे – संक्रमित व्यक्ति कोई घाव हुई हो ओर अपने हाथों को अच्छे से ना धोकर कोई खाने वाले चीजों पर हांथ रख उस खाने वाली चीजो को दूषित कर देता है और उसके बाद उसे उपयोग में लाने से स्वस्थ व्यक्ति अस्वस्थ हो सकता है अर्थात् वह वायरस के संक्रमण का शिकार हो सकता है ।

संक्रमण होने के अन्य कारण भी हो सकते है जो निम्नलिखित है –

  • संक्रमण व्यक्ति को दिए गए इंजेक्शन से कोई स्वस्थ व्यक्ति इंजेक्शन अगर लगा दे तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और संक्रमण का कारण बन सकता है।
  • असुरक्षित यौन संबंध रखने से।
  • दूसरों का टूथब्रश या रेजर का उपयोग करने से।

hepatitis b का संक्रमण रक्त स्राव से होने वाले जितने भी कारण होंगे उन सभी कारणों से हेपेटाइटिस बी फैलने का ज्यादा संभावना होता है क्योंकि हेपेटाइटिस बी के वायरस लगभग 6 , 7 दिन तक बाहरी सातों पर जीवित रह सकते हैं । ध्यान देने वाली बातें हैं हेपेटाइटिस बी लार के द्वारा संपर्क में आने वाले पदार्थ से नहीं फैलती है जैसे अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के उपयोग हुए थाली को धोकर उसका उपयोग करता है तो स्वस्थ व्यक्ति हेपेटाइटिस बी के संक्रमण का संभावना नहीं होती है।

हेपटाइटिस बी का निदान कैसे करें ?

Hepatitis b के निदान के लिए खून की जांच की जाती है जिससे hepatitis B वायरस की उपस्थिति का पता चल सके। हालांकि हेपेटाइटिस बी के लक्षण उतनी जल्दी आसानी से नहीं दिखते हैं इसीलिए डॉक्टर द्वारा कुछ ऐसे लोगों को हेपेटाइटिस बी टेस्ट करने की सलाह दी जाती है ।जो निम्नलिखित है –

  • अत्यधिक मात्रा में जो नशीली चीजों का उपयोग हो।
  • जो समलैंगिक संबंध रखते हो।
  • आसुरक्षित जगह से यात्रा करके आए हो जहां hepatitis B ka संक्रमण हो।
  • एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति ।
  • गर्भवती महिलाएं ।

हेपटाइटिस बी का इलाज क्या है ?

हेपेटाइटिस बी के इलाज के लिए सबसे पहले हमारे दैनिक जीवन के उपयोग में लाने वाले खान-पान आते हैं, उन पर विशेष ध्यान देना चाहिए जैसा हमें पता है हेपेटाइटिस बी दो प्रकार की होती है पहला Acute hepatitis B और दूसरा क्रॉनिक हेपिटाइटिस बी। हेपेटाइटिस बी Acute में हम लोग अपने जो भी दैनिक जीवन में खाद्य पदार्थ का उपयोग करते हैं उन्हें पर विशेष ध्यान देकर हम हेपेटाइटिस बी एक्यूट की समस्याओं को खत्म कर सकते हैं ।जैसे शराब या नशीली चीजों का उपयोग बंद कर, पर्याप्त स्वच्छ पेयजल उपयोग कर ,अच्छे खान-पान कर और शरीर को आराम देकर ।परंतु क्रॉनिक हेपिटाइटिस बी में हमारे खान-पान या हमारे क्रॉनिक हेपिटाइटिस बी में खानपान के बदलाव के साथ इलाज के लिए एंटीवायरस दवा का भी डॉक्टर की सलाह से लेनी चाहिए ।हमें याद यह रखना चाहिए कि यह दवा वायरस से छुटकारा नहीं दिलाता है बल्कि हमारे क्षतिग्रस्त लिवर को ओर क्षति होने से बचाती है इसलिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हम अपने खान-पान हम अपने आदतों पर सुधार लें जिससे लीवर की गंभीर बीमारी के खतरे से बचे रहे।

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