हेपेटाइटिस A क्या है ?
हेपेटाइटिस ए , वायरस के कारण होने वाली बीमारी है देखा जाए तो यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण बीमारी है जो शरीर के यकृत (लीवर) अंग को प्रभावित करती है। हेपेटाइटिस ए वायरस को संछेप में HAV भी कहते है। हेपेटाइटिस ए दूषित भोजन , दूषित पानी या hepatitis A से संक्रमित व्यक्ति के माल के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
कुछ मामलों में हेपेटाइटिस ए महिना या दिनो के भीतर ठीक हो जाती है तथा कुछ अन्य मामलों में काफी दिन लग सकता है जिसमे लीवर ठीक से काम करना बंद कर देता है जिससे इंसान की मृत्यु हो सकती है। इसलिए शुरुवाती लक्षण दिखते ही इलाज करा ले।
हेपेटाइटिस ए के लक्षण क्या है ?
हेपेटाइटिस ए के लक्षण संक्रमण होने के लगभग 4 – 5 सप्ताह के बाद दिखाई देते है। लक्षणों में कुछ लक्षण निम्नलिखित है –
- थकान लगना
- उल्टी होना
- भूख कम लगना
- जोड़ो एवं मांसपेशियों में दर्द
- बुखार
- पेट में दर्द
- सिरदर्द
- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना
कुछ मामलों जिसमे लीवर या यकृत में सूजन बना रहना तथा हेपेटाइटिस ए बीमारी का लम्बे समय तक का होना हेपेटाइटिस ए की गंभीर बीमारी के लक्षण को दर्शाता है जिसमे मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। कुछ गंभीर लक्षण जो दिखाई देते है वे निम्नलिखित है –
- पेट में अत्यधिक दर्द
- उल्टी का होना
- भ्रम पैदा होना
- बेहोशी
- आंखे एवम त्वचा पीला पड़ जाना
- लीवर फेलियर हो जाना
हेपेटाइटिस ए के कारण क्या है ?
हेपेटाइटिस ए के होने का कारण हमारा दूषित भोजन,दूषित पेयजल एवम कुछ भी खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह नही धोने से हो सकती है। हेपेटाइटिस ए से संक्रमित व्यक्ति के अस्वच्छता से भी हेपेटाइटिस ए हो सकती है ऐसा इसलिए क्योंकि जब वह व्यक्ति मल त्याग करता है तो मल के साथ उसमे वायरस भी मौजूद होती है और अपने हाथों को अच्छे से नही साफ रखने पर हाथों में ही रह जाती है और जिन जिन चीजों का इस्तेमाल करेगा वह वायरस भी उसके साथ फैल जाएगा इसलिए हाथों की सफाई साबुन या कोई हैंड वॉश से अच्छी तरह साफ करनी चाहिए।
हेपेटाइटिस ए वायरस निम्नलिखित अन्य कारणो से भी फैल सकती है –
- दूषित भोजन
- दूषित पानी
- संक्रमित व्यक्ति के प्रयोग हुए सामानों को उपयोग में लाना
- हेपेटाइटिस ए वायरस से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखने से
हेपेटाइटिस ए का बचाव क्या है ?
हेपेटाइटिस ए से से बचाव का सबसे आसान तरीका है टीकाकरण । हेपेटाइटिस ए टीका को दो खुराक में दिया जाता है जो 6 से 12 महीने के अंतराल पर होता है ।
हेपेटाइटिस ए के संक्रमित से बचने के लिए कुछ बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए –
- खाने से पहले और टॉयलेट के उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह धोए।
- खुले जगह खाने से बचे जहां मक्खियों भिनभिना रही हो ।
- पीने वाले पानी बोतलों को घर से ही ले या बाहर से लेने पर बंद बोतलों वाला पानी ले।
हेपेटाइटिस ए का निदान कैसे किया जाए ?
हेपेटाइटिस ए का निदान खून की जांच के द्वारा किया जाता है। खून की जांच में शरीर में देखा जाता है कि HAV (हेपेटाइटिस ए ) एंटीबॉडीज है कि नहीं । एंटीबॉडीज एक प्रकार का प्रोटीन होता हैं जिसे इम्यूनोग्लोबिन भी कहा जाता है जो बैक्टीरिया,वायरस एवम अन्य हानिकारक तत्वों से लड़ने में मदद करता है।
हेपेटाइटिस ए के निदान के लिए खून की जांच में निम्मलिखित जांच को देखा जाता है –
- इम्यूनोग्लोबिन M (Igm) एंटीबॉडी जांच – यह जांच संक्रमण की शुरुआती चरण में किया जाता है क्योंकि Igm एंटीबॉडी संक्रमण के बाद कुछ ही दिनों के भीतर दिखाई देते हैं।
- इम्यूनोग्लोबिन G (IgG) एंटीबॉडी जांच – यह जांच संक्रमण होने के कुछ हफ्तों ,कुछ महिना के बाद किया जाता है क्योंकि IgG एंटीबॉडी संक्रमण के बाद लम्बे समय तक रह सकते है।
कुछ अन्य मामलों में हेपेटाइटिस A के निदान के लिए निम्नलिखित जांच को करने की सलाह भी दी जा सकती है –
- लीवर फंशन टेस्ट (LFT) – लीवर फंशन टेस्ट (LFT) के जांच के द्वारा लीवर की कार्यक्षमताओ का मूल्यांकन किया जाता है।
- अल्ट्रासोनोग्राफी – अल्ट्रासोनोग्राफी का परीक्षण यह परीक्षण बहुत ही गंभीर मामलों में जरूरत पड़ने पर ली जाती है इसमें लीवर की छवि ली जाती है जिसमे लीवर की साइज (size) देखा जाता है।
हेपेटाइटिस ए का इलाज कैसे करे ?
हेपेटाइटिस A एक संक्रमण रोग है जो यकृत में सूजन का कारण बना रहता है इनके इलाज में देखा है तो यह आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन कुछ गंभीर मामलों में हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए टीका लगवाना जरूरी हो जाता है । हेपेटाइटिस ए का टीका साल में दो बार दी जाती है इनका ड्यूरेशन 6 – 6 महीने की होती है। हेपेटाइटिस टीका सभी उम्र के लोगों के लिए उपलब्ध होती है। सबसे ज्यादा टीका की महत्व उन लोगों के लिए होती है जो हमेशा ऐसे जगहों पे यात्रा करते है जहां दूषित भोजन हो,दूषित पानी हो या हेपेटाइटिस संक्रामक जगह हो।
हेपेटाइटिस ए का इलाज या बचाव निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है –
- स्वच्छ खान पान उपयोग
- स्वच्छ पेय जल सेवन
- हांथो की अच्छी सफाई
- टीकाकरण लगा कर
- नशीली पदार्थों का सेवन से बचाव करके
- पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन करके
- अत्यधिक थकान से बच कर
- आराम कर के