रेबीज एक घातक बीमारी है जो रेबीज वायरस कारण होता है। जो संक्रमित जानवरों की लार के संपर्क में आने से फैलती है। यहां लार के संपर्क का मतलब है कि संक्रमित जानवर जब काट लेता है तब उसमे मौजूद वायरस लार के माध्यम से कटे हुए जगह में चला जाता है और संक्रमित हो जाता है। यह बीमारी आमतौर पर कुत्तों, बिल्लियों, लोमड़ियों, भेड़ियों और चमगादड़ों से फैलती है। रेबीज का वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को संक्रमित करता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें लकवा, मानसिक भ्रम और मृत्यु आदि शामिल हैं। कुछ मामलों में मनुष्य को नींद नही आती है,चिड़चिड़ापन लगा रहता है ,गुस्सा करता है आदि लक्षण दिखते है। यह रेबीज बीमारी के लक्षण मनुष्य ने कई सप्ताह, कई महीने या कई वर्षो के बाद दिखाई देते है। इसलिए कहीं भी , कोई भी अगर जंगली जानवर या पालतू पशु काट लेते है चाहें वह रेबीज वायरस से संक्रमित हो या न हो आप डॉक्टर कि सलाहनुसार इलाज करवाना अतिआवस्यक है।

रेबीज का कारण क्या है?

रेबीज का कारण एक वायरस है जिसे रेबीज वायरस कहा जाता है। यह वायरस संक्रमित जानवरों की लार में पाया जाता है। जब कोई व्यक्ति संक्रमित जानवर के काटने से या उसके लार के संपर्क में आता है, तो वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है और संक्रमित हो सकता है।

मनुष्यो में रेबीज का संक्रमण सबसे ज्यादा कुत्ते के कारण देखा गया है ,खासकर बच्चों में मामले ज्यादा देखा गया है कारण बच्चे हमेशा बाहर में खेलते रहते है और उन्हें कुत्ते के संक्रमण होने का पता नही रहता है। वे अपने खेल में मगन रहते है ।

रेबीज संक्रमित जानवर के काटने या खरोच या किसी प्रकार के धाव पर चाटने से रेबीज का संक्रमण फैल सकता है। रेबीज में मुख्यता कुत्ते जिम्मेदार होते है साथ ही बिल्ली,बंदर,नेवला आदि जानवर भी होते है।

रेबीज बीमारी के लक्षण क्या होते हैं?

रेबीज के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 2-8 सप्ताह के बाद दिखाई दे सकते हैं। लेकिन कुछ मामलों में लक्षण कई महीने ,कई वर्ष के बाद दिखाई देते है। प्रारंभिक लक्षणों में आमतौर पर हल्के होते हैं जिसमे बुखार, सिरदर्द, थकान और मांसपेशियों में दर्द आदि शामिल हो सकते हैं। परंतु जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती जाती है लक्षण ओर भी गंभीर हो सकती हैं जो निम्नलिखित अवस्था में बांटा गया है –

पारंभिक अवस्था

  • शरीर का तापमान में वृद्धि
  • जलन या काटने के स्थान पर झुनझुनी
  • कटे हुए जगह पर दर्द
  • सिरदर्द
  • थकान
  • मांसपेशियों में दर्द
  • गले का सूखना
  • बैचेनी लगना
  • भूख न लगना

उत्तेजित अवस्था

  • मानसिक भ्रम
  • दौरे आना
  • कोमा
  • चीजे को समझने की शक्ति कम हो जाती है
  • लार ज्यादा बनने लगते है
  • मुंह में झाग बनने लगते हैं।
  • पानी से डर लगना
  • तेज प्रकाश प्रकाश हवा ध्वनि आने पर झटका आना
  • प्यास लगना
  • पानी की कमी होना
  • डर एवम उत्तेजना

एवम जब संक्रमण बहुत अधिक हो जाता है और मस्तिष्क ,नसों तक पहुँच जाता है ।

  • लकवा
  • झटके आना
  • बैचेनी
  • मांसपेशियों का शिथिल पड़ना
  • मृत्यु

रेबीज का उपचार क्या है?

रेबीज के गंभीर लक्षण दिखाई देना यह गंभीर स्थितियों को दर्शाता है इसमें मरीज की मृत्यु या जान का खतरा बढ़ जाता है इस स्थिति कोई इलाज संभव नहीं है। हालांकि, अगर किसी व्यक्ति को संक्रमित जानवर के काटने पर या लार के संपर्क में आने के बाद जल्द से जल्द उपचार किया जाए , तो संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है। इस उपचार को पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलेक्स (post Exposure Prophylaxis) या PEP कहा जाता है जिसमे रेबीज का टीका और एंटीबॉडीज शामिल होते हैं।

  • कुत्ते या अन्य संक्रमित जानवर के काटने के लगभग 72 घंटे के भीतर टीका लगा लेनी चाहिए।अन्यथा रेबीज के चपेट में आ सकते है।
  • अगर कटे हुए जगह का धाव गहरा नही है तो साबुन से कम से कम 15 से 20 मिनट तक धोना चाहिए।
  • अगर धाव गहरा होगा तो अपने नजदीक डॉक्टर से सलाह ले।

रेबीज के उपचार को तीन श्रेणी में रखा गया है–

इन तीन श्रेणी में जानेंगे की रेबीज के वायरस जानवर के द्वारा किस तरह से संपर्क में आते है और इसके कैसे कैसे जोखिम है साथ ही इनका उपचार क्या है?

पहला श्रेणी

जानवरो(कुत्ता) को छुने से या उसे खिलाने से कोई जोखिम नहीं है इसमें उपचार की कोई आवश्यकता नहीं पढ़ती है।लेकिन अगर जानवर द्वारा बिना कटे त्वचा को चाटता है तो तब तक हम ये नही कह सकते है कि खतरा नहीं है जब तक कि उस जानवर या कुत्ता का पूरा इतिहास मालूम न कर ले।इसलिए अगर कुत्ता द्वारा आपके त्वचा को चाटा हो तो उस स्थान को साबुन से अच्छी तरह धो ले ताकि भविष्य में संक्रमण का खतरा न रहे।

दूसरा श्रेणी

दूसरा श्रेणी में जब कुत्ते के द्वारा त्वचा को खरोचा है या नोचा है या कुदरा है या कुत्ते द्वारा काट लिया हो लेकिन खून नही आ रहा हो तब ऐसे में जोखिम का बढ़ जाता है इसलिए इसके उपचार के लिए उस कटे या खरोच जगह को अच्छे से साबुन से 10 से 15 मिनट तक धोए। उसके बाद अगर उपलब्ध हो तो एंटीसेप्टिक दवाई लगा ले और डॉक्टर को दिखा कर एंटी रेबीज का टीकाकरण लगा ले।

तीसरा श्रेणी

इस श्रेणी में कुत्ते द्वारा अधिक गहरा या अधिक जगहों पर कटा हो या कटी हुई जगहों को चाटा हो या कुत्ते के लार के द्वारा mucous membrane में संक्रमण हो गया हो तो जोखिम बहुत गंभीर हो जाती है जिसमे मृत्यु भी जाती है इसलिए धाव की अच्छी सफाई कर ,एंटी रेबीज टीकाकरण,rabies immunoglobulin का टीकाकरण लगा लेनी चाहिए।

नोट – ” दूसरे एवं तीसरे श्रेणी के रेबीज मरीजों को एंटी रेबीज टीकाकरण लगवाना अतिआवश्यक है साथ ही तीसरी श्रेणी के मरीजों को एंटी रेबीज टीकाकरण और rabies immunoglobulin का टीकाकरण लगा लेनी चाहिए।”

रेबीज का टीका प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं जिला अस्पतालों में ,सदर अस्पतालो में निशुल्क मिल जाता है।

रेबीज(Rabies) की खोज कब हुई और किसने किया?

रेबीज की खोज सन 1885 ई में प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने किया ।

रेबीज का रोकथाम क्या है?

रेबीज से बचाव का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जानवरों के काटने से बचाव किया जाए। जानवरों के साथ संपर्क करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतें:

  • आवारा जानवरों से दूर रहें।
  • पालतू जानवरों को नियमित रूप से टीका लगवाएं।
  • जानवरों को छूने से पहले उन्हें शांत होने दें।
  • जानवरों को छूते समय दस्ताने पहनें।

यदि कोई व्यक्ति किसी जानवर के काटने या लार के संपर्क में आता है तो साबुन से अच्छे तरह हाथों को धोए।

रेबीज वायरस का संचरण(Trasmission) कैसे होता है?

यह मुख्यता रेबीज संक्रमित जानवर के लार द्वारा दूसरे जानवर एवम मनुष्यों को संचारित होती है –

  • रेबीज संक्रमित जानवर के कटने से
  • संक्रमित जानवर के खरोचने से
  • रेबीज संक्रमित जानवर द्वारा कटी फटी त्वचा को चाटने से।

रेबीज के वायरस उस कटे,खरोच एवम कटी फटी जगहों में कुत्ते के लार में मौजूद वायरस शरीर में चला जाता है और तंत्रिका तंत्र(nervous) के द्वारा मानस्तिक में रेबीज वायरस चला जाता है और तंत्रिका तंत्र को छतिग्रस्त करते है।

कुत्ते के काटने के बाद क्या करें?

यदि आपको एक कुत्ते ने काटा है, तो निम्नलिखित कदम उठाएं:

  • घाव को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं।
  • घाव को खुला रखें ताकि वह सूख सके।
  • तुरंत डॉक्टर से मिलें।

डॉक्टर आपको रेबीज के टीके और एंटीबॉडीज लगवाने की सलाह दे सकता है।

रेबीज संक्रमित कुत्ते को कैसे पहचाने?

रेबीज से ग्रसित कुत्ते को पहचाने के कुछ बिंदुओं का ध्यान रखे –

  • जीभ लटके रहेगा
  • जीभ से लार टपकते रहेगा
  • मुंह में सफेद झाग
  • पागल की तरह भागते रहेगा
  • किसी पर भी आक्रामक होगा
  • शरीर दुबला हो जाना

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