दाद क्या है ?

दाद एक प्रकार का फंगल संक्रमण है जो टीनिया के कारण होता है यह संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है और यह संक्रमण शरीर के किसी भी भाग में हो सकती है लेकिन आमतौर पर देखा जाए तो चेहरा,गला, हाथ, पैर आदि में देखने को मिल जाती है। दाद दिखने में लाल और भूरे रंग का उभरा हुआ जैसा नजर आता है। दाद का समय रहते इलाज नहीं करने से यह हमारे अंगों पर भी फैल सकती है और हमें परेशान कर सकती है इसीलिए सही समय पर इलाज कराना चाहिए।

दाद संक्रामक होता है । यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है। यह त्वचा के संपर्क से , संक्रमित व्यक्ति के गमछा, तोलिया, कपड़ा आदि वस्तुओं के संपर्क से ,साथ ही संक्रमित जानवरों की संपर्क से भी यह संक्रमण फैल सकता है।

दाद के इलाज के लिए आमतौर पर एंटीफंगल दवाई दी जाती है यदि दाद की समस्या लंबे समय से हो तो एंटी फंगल दवाई के साथ-साथ खाने वाली दवाई भी दी जाती है । दाद के इलाज के लिए अनेक घरेलू उपाय भी होते है।

नोट – “अगर किसी दूध पिलाने वाली महिला (मां) को दाद ,खुजली की संक्रमण रहता है तो उसके बच्चे को भी दाद की शिकायत हो सकती है। “

दाद के कितने प्रकार होते है ?

दाद के आम प्रकारों में कुछ प्रकार निम्नलिखित है –

  • टीनिया कैपिटिस – यह हमारे सिर के भाग या खोपड़ी पर होता है इसमें बालों का झड़ना, खुजली और लालिमा होना इसके कारण हो सकते है।
  • टीनिया पैडिस – यह पैरों पर होता है इसमें भी खुजली और लाल रंग के चलते हो सकते हैं जो पर की उंगलियों के बीच से पर के तलवे पर हो सकते हैं।
  • टीनिया कोर्पोरिस – यह शरीर के अन्य हिस्सों पर होता है जैसे छाती, पीठ आदि। इसमें भी खुजली के साथ लाल चकते हो सकते हैं इसका आकार गोला कार होता है ।
  • टीनिया inguinalis – यह शरीर के जांघों के बीच होता है इसमें भी खुजली तथा लाल चकते हो सकते हैं।

दाद के लक्षण क्या है ?

  • धब्बों के केंद्र में हल्की त्वचा
  • कभी-कभी धब्बों पर छाले
  • धब्बों के किनारे पर उभरी हुई त्वचा
  • लाल रंग का गोलाकार धब्बा
  • त्वचा पर लाल गोल और उसके अंदर सपाट पैच
  • एक गोलाकार रिंग की तरह

दाद से बचने के उपाय क्या है ?

दाद ,खाज एवम खुजली से बचने के लिए हमे अपने दिनचर्या के खान-पान एवं रहन-सहन में बदलाव बहुत जरूरी है। कुछ दाद हमारे गलत खान-पान के वजह से होती है साथ ही हमारे दैनिक जीवन में उपयोग में लाए साबुन,कपड़े को सार्वजनिक के कारण भी दाद खुजली की समस्या हो सकती हैअन्य कुछ निम्नलिखित कारण भी हो सकते है –

  • संक्रमित लोगों के संपर्क से बचे – संक्रमित लोगों के संपर्क से बचने को इसलिए कहा जाता है क्योंकि किसी को दाद का संक्रमण है तो वह जाहिर सी बात है कि अपने प्रभावित जगह में हांथ जरूर लगाया होगा और हमे पता नही रहता है कि वह हांथ अच्छे से धोया है कि नही। और हांथ नही धोए रहने के क्रम में संपर्क में आते है तो संक्रमण का आशंका ज्यादा हो जाता है।
  • संक्रमित जानवरों के संपर्क से बचे हैं – किसी भी जानवर को पकड़ने के बाद हाथ को अच्छी तरह से धो लें क्योंकि हमें ये पता नहीं रहता है कि यह किस जानवर को दाद जैसी संक्रामक हुई है।
  • संक्रमित वस्तुओं के संपर्क से बचें –संक्रमित वास्तु के संपर्क से बचने का तात्पर्य है कि अगर कोई व्यक्ति दाद से ग्रसित है और हम उनके उपयोग हुए चीजों का इस्तेमाल करते हैं जैसे साबुन ,तोलिया इत्यादि तो इन सभी से हमें दाद होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • साफ सफाई– साफ सफाई के भी विशेष ध्यान देनी चाहिए साथ ही दाद जैसे क्षेत्रों को नमी से बचाना चाहिए।
  • दाद वाली जगह पर बार-बार खुजलाना नहीं चाहिए।
  • हमारे खानपान में अत्यधिक नमकीन वाली चीजे,अत्यधिक मीठी वाली चीजे,सोडा युक्त चीजे ,साथ ही नशीले पदार्थ जैसे शराब ,सिगरेट आदि इन सभी के सेवन से बचना चाहिए।
  • अधिक पसीने होने से जब हमारा शरीर गीला हो जाता है और सुख जाता है तो ऐसे स्थिति में फंगल,दाद जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है इसलिए जब भी हम पसीने से गीले हो जाते हैं तो कुछ देर बाद स्वच्छ पानी से नहा लेना चाहिए या शरीर को धो लेना चाहिए।
  • विटामिन E युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए इससे हमारे शरीर की प्रतीक्षा प्रणाली मजबूत होती है और दाद जैसे कारक को नष्ट करते है।

दाद के घरेलू उपाय क्या है ?

दाद के घरेलू उपाय कुछ निम्नलिखित है –

हल्दी – हल्दी में एंटी फंगल के गुण पाए जाते हैं जो दाद के इलाज के लिए अच्छी होती है । इसका उपयोग हम पानी में हल्दी मिलाकर उसका लेप बना कर प्रभावित क्षेत्र में लगा सकते हैं।

नारियल का तेल – नारियल का तेल में भी एंटीफंगल और एंटी इन्फ्लेमेटरी के गुण होते हैं जो दाद के इलाज के लिए काफी उपयोगी होते हैं इसका उपयोग प्रभावित क्षेत्र पर नारियल का तेल लगाकर कर सकते है।

एलोवेरा – एलोवेरा में एंटीफंगल गुण होते हैं जो संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं एलोवेरा का जेल को दिन में चार पांच बार प्रवाहित क्षेत्र पर लगाए।

लहसुन – लहसुन में भी एंटीफंगल के गुण पाए जाते हैं जो दाद जैसे संक्रामक से बचाने में मदद करता है इसका उपयोग हम लहसुन का पेस्ट बनाकर प्रभावित क्षेत्र के लिए कर सकते है।

नीम के पत्ते – नीम के पत्ते को पीसकर प्रभावित क्षेत्र पर लगा ले या नीम के पत्ते को उबालकर उससे स्नान करने से भी काफी फायदा होता है।

दाद के लिए डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए ?

  • दाद का इलाज एंटीफंगल दवाइयां से अगर खत्म नहीं हो रही है तो।
  • दाद तेजी से फैलते चली जा रही है तो।
  • दाद के साथ बुखार, सिरदर्द या अन्य कोई लक्षण दिखाई दे रही है तो डॉक्टर से परामर्श करके इलाज करा लेना चाहिए।

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